Saturday, July 28, 2018

रावणः कृत शिवः ताण्डव स्त्रोत्र


जटाटवी गलज्जल प्रवाहपावितस्थले गलेऽवलम्ब्यलम्बितां भुजंगतुंग मालिकाम् 
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं चकार चण्ड्ताण्डवं तनोतुनः शिवः शिवम् ॥१॥

जिन शिवजी की सघन, वनरूपी जटा से प्रवाहित हो गंगाजी की धारायं उनके कंठ को प्रक्षालित होती हैं, जिनके गले में बडे एवं लम्बे सर्पों की मालाएं लटक रहीं हैं, तथा जो शिव जी डम-डम डमरू बजा कर प्रचण्ड ताण्डव करते हैं, वे शिवजी हमारा कल्याण करें ।

जटाकटाहसं भ्रम भ्रमन्निलिम्पनिर्झरी विलोलवी चिवल्लरी विराजमानमूर्धनि धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणंमम ॥२॥

जिन शिवजी के जटाओं में अतिवेग से विलासपुर्वक भ्रमण कर रही देवी गंगा की लहरे उनके शिश पर लहरा रहीं हैं, जिनके मस्तक पर अग्नि की प्रचण्ड ज्वालायें धधक-धधक करके प्रज्वलित हो रहीं हैं, उन बाल चंद्रमा से विभूषित शिवजी में मेरा अनुराग प्रतिक्षण बढता रहे ।

धराधरेन्द्र नंदिनीविलास बन्धु बन्धुर स्फुरद्दिगन्त सन्ततिप्रमोदमानमानसे
कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि क्वचिद्दिगम्बरेमनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥३॥

जो पर्वतराज सुता (पार्वतीजी) केअ विलासमय रमणिय कटाक्षों में परम आनन्दित चित्त रहते हैं, जिनके मस्तक में सम्पूर्ण सृष्टि एवं प्राणीगण वास करते हैं, तथा जिनके कृपादृष्टि मात्र से भक्तों की समस्त विपत्तियां दूर हो जाती हैं, ऐसे दिगम्बर (आकाशको वस्त्र सामान धारण करने वाले) शिवजी की आराधना से मेरा चित्त सर्वदा आन्दित रहे ।

जटाभुजंगपिंगलस्फुरत्फणामणिप्रभा कदम्बकुंकुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे 
मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे मनो विनोदमद्भुतंबिभर्तुभूतभर्तरि ॥४॥

मैं उन शिवजीकी भक्ति में आन्दित रहूँ जो सभी प्राणियों की के आधार एवं रक्षक हैं, जिनके जाटाओं में लिपटे सर्पों के फण की मणियों के प्रकाश पीले वर्ण प्रभा-समुहरूपकेसर के कातिं से दिशाओं को प्रकाशित करते हैं और जो गजचर्म से विभुषित हैं ।

सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर प्रसूनधूलिधोरणीविधूसरांघ्रिपीठभूः
 भुजंगराजमालयानिबद्धजाटजूटक: श्रियैचिरायजायतां चकोरबन्धुशेखरः ॥५॥

जिन शिवजी का चरण इन्द्र-विष्णु आदि देवताओं के मस्तक के पुष्पों के धूल से रंजित हैं (जिन्हे देवतागण अपने सर के पुष्प अर्पन करते हैं), जिनकी जटा पर लाल सर्प विराजमान है, वो चन्द्रशेखर हमें चिरकाल के लिए सम्पदा दें ।
ललाट-चत्वर-ज्वलद्धनंजय-स्फुलिंगभा- निपीत-पंच-सायकं-नमन्नि-लिम्प-नायकम्  सुधा-मयूख-लेखया-विराजमान-शेखरं महाकपालि-सम्पदे-शिरो-जटाल-मस्तुनः ॥६॥
जिन शिव जी ने इन्द्रादि देवताओं का गर्व दहन करते हुए, कामदेव को अपने विशाल मस्तक की अग्नि ज्वाला से भस्म कर दिया, तथा जो सभि देवों द्वारा पुज्य हैं, तथा चन्द्रमा और गंगा द्वारा सुशोभित हैं, वे मुझे सिद्दी प्रदान करें।
कराल-भाल-पट्टिका-धगद्धगद्धग-ज्ज्वल द्धनंज-याहुतीकृत-प्रचण्डपंच-सायके  धरा-धरेन्द्र-नन्दिनी-कुचाग्रचित्र-पत्रक -प्रकल्प-नैकशिल्पिनि-त्रिलोचने-रतिर्मम ॥७॥
जिनके मस्तक से धक-धक करती प्रचण्ड ज्वाला ने कामदेव को भस्म कर दिया तथा जो शिव पार्वती जी के स्तन के अग्र भाग पर चित्रकारी करने में अति चतुर है ( यहाँ पार्वती प्रकृति हैं, तथा चित्रकारी सृजन है), उन शिव जी में मेरी प्रीति अटल हो।
नवीन-मेघ-मण्डली-निरुद्ध-दुर्धर-स्फुरत् कुहू-निशी-थिनी-तमः प्रबन्ध-बद्ध-कन्धरः  निलिम्प-निर्झरी-धरस्त-नोतु कृत्ति-सिन्धुरः कला-निधान-बन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः ॥८॥
जिनका कण्ठ नवीन मेंघों की घटाओं से परिपूर्ण आमवस्या की रात्रि के सामान काला है, जो कि गज-चर्म, गंगा एवं बाल-चन्द्र द्वारा शोभायमान हैं तथा जो कि जगत का बोझ धारण करने वाले हैं, वे शिव जी हमे सभि प्रकार की सम्पनता प्रदान करें।
प्रफुल्ल-नीलपंकज-प्रपंच-कालिमप्रभा- -वलम्बि-कण्ठ-कन्दली-रुचिप्रबद्ध-कन्धरम् . स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं गजच्छिदांधकछिदं तमंतक-च्छिदं भजे ॥९॥
जिनका कण्ठ और कन्धा पूर्ण खिले हुए नीलकमल की फैली हुई सुन्दर श्याम प्रभा से विभुषित है, जो कामदेव और त्रिपुरासुर के विनाशक, संसार के दु:खो6 के काटने वाले, दक्षयज्ञ विनाशक, गजासुर एवं अन्धकासुर के संहारक हैं तथा जो मृत्यू को वश में करने वाले हैं, मैं उन शिव जी को भजता हूँ।
अखर्वसर्व-मंग-लाकला-कदंबमंजरी रस-प्रवाह-माधुरी विजृंभणा-मधुव्रतम् . स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं गजान्त-कान्ध-कान्तकं तमन्तकान्तकं भजे ॥१०॥
जो कल्यानमय, अविनाशि, समस्त कलाओं के रस का अस्वादन करने वाले हैं, जो कामदेव को भस्म करने वाले हैं, त्रिपुरासुर, गजासुर, अन्धकासुर के सहांरक, दक्षयज्ञविध्वसंक तथा स्वयं यमराज के लिए भी यमस्वरूप हैं, मैं उन शिव जी को भजता हूँ।
जयत्व-दभ्र-विभ्र-म-भ्रमद्भुजंग-मश्वस- द्विनिर्गमत्क्रम-स्फुरत्कराल-भाल-हव्यवाट् धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदंग-तुंग-मंगल ध्वनि-क्रम-प्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः ॥११॥
अतयंत वेग से भ्रमण कर रहे सर्पों के फूफकार से क्रमश: ललाट में बढी हूई प्रचंण अग्नि के मध्य मृदंग की मंगलकारी उच्च धिम-धिम की ध्वनि के साथ ताण्डव नृत्य में लीन शिव जी सर्व प्रकार सुशोभित हो रहे हैं।
दृष-द्विचित्र-तल्पयोर्भुजंग-मौक्ति-कस्रजोर् -गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्वि-पक्षपक्षयोः . तृष्णार-विन्द-चक्षुषोः प्रजा-मही-महेन्द्रयोः समप्रवृतिकः कदा सदाशिवं भजे ॥१२॥
कठोर पत्थर एवं कोमल शय्या, सर्प एवं मोतियों की मालाओं, बहुमूल्य रत्न एवं मिट्टी के टूकडों, शत्रू एवं मित्रों, राजाओं तथा प्रजाओं, तिनकों तथा कमलों पर सामान दृष्टि रखने वाले शिव को मैं भजता हूँ।
कदा निलिम्प-निर्झरीनिकुंज-कोटरे वसन् विमुक्त-दुर्मतिः सदा शिरःस्थ-मंजलिं वहन् . विमुक्त-लोल-लोचनो ललाम-भाललग्नकः शिवेति मंत्र-मुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् ॥१३॥
कब मैं गंगा जी के कछारगुञ में निवास करता हुआ, निष्कपट हो, सिर पर अंजली धारण कर चंचल नेत्रों तथा ललाट वाले शिव जी का मंत्रोच्चार करते हुए अक्षय सुख को प्राप्त करूंगा।
निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका- निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः। तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं परिश्रय परं पदं तदंगजत्विषां चयः ॥१४॥
देवांगनाओं के सिर में गुंधे पुष्पों की मालाओं से झड़ते हुए सुगंधमय राग से मनोहर परमशोभा के धाम महादेव जी के अंगो की सुन्दरताएं परमानन्दयुक्त हमारे मन की प्रसन्नता को सर्वदा बढाती रहे।
प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना। विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम्‌ ॥१५॥
प्रचण्ड वडवानल की भांति पापों को भष्म करने में स्त्री स्वरूपिणी अणिमादिक अष्टमहासिध्दियों तथा चंचल नेत्रों वाली कन्याओं से शिव विवाह समय गान की मंगलध्वनि सब मंत्रों में परमश्रेष्ट शिव मंत्र से पूरित, संसारिक दुःखों को नष्ट कर विजय पायें।
इमम ही नित्यमेव-मुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धि-मेति-संततम् . हरे गुरौ सुभक्तिमा शुयातिना न्यथा गतिं विमोहनं हि देहिनां सुशंकरस्य चिंतनम् ॥१६॥
इस उत्त्मोत्त्म शिव ताण्डव स्रोत को नित्य पढने या श्रवण करने मात्र से प्राणि पवित्र हो, परंगुरू शिव में स्थापित हो जाता है तथा सभी प्रकार के भ्रमों से मुक्त हो जाता है।
पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं यः शंभुपूजनपरं पठति प्रदोषे . तस्य स्थिरां रथ गजेन्द्र तुरंग युक्तां लक्ष्मीं सदैवसुमुखिं प्रददाति शंभुः ॥१७॥
प्रात: शिवपुजन के अंत में इस रावणकृत शिवताण्डवस्तोत्र के गान से लक्ष्मी स्थिर रहती हैं तथा भक्त रथ, गज, घोडा आदि सम्पदा से सर्वदा युक्त रहता है।


Friday, July 27, 2018

अनौठो हकप्रद निष्कासन प्रस्ताव

एभरेष्ट इन्स्योरेन्स कम्पनीले १ सय ५ प्रतिशत संस्थापक हकप्रद शेयर जारी गर्न अनुमतिका लागि धितोपत्र बोर्डमा प्रस्ताव दर्ता गराएको छ । सुन्दा पनि अनौठो लाग्ने यस्तो प्रस्ताव बोर्डले के आधारमा दर्ता गराएको होला सबैको चासोको विषय बनेको छ । यहाँ यस्तो अनौठो हकप्रद, यसको असर, कम्पनीको विगत र सम्भावित समाधानको पाटो विषयमा सङ्क्षिप्त चर्चा गरिएको छ ।

कम्पनीको विगत र पूँजी

कम्पनीले २०५१ सालमा जारी पूँजी ३ करोडको ४० प्रतिशत शेयर सर्वसाधारणलाई विक्री गरी संस्थापक र सर्वसाधारणतर्फको अनुपात क्रमशः ६० र ४० प्रतिशत कायम गरेको देखिन्छ । बीमा ऐन २०४९ र नियमावलीले कतै पनि संस्थापक र सर्वसाधारणको अनुपात नतोके पनि प्रचलनका रूपमा त्यतिबेला प्रायः सबै बीमा कम्पनीले २० प्रतिशत सर्वसाधारणतर्फ जारी गरेको पाइन्छ । यस्तो अनुपात कति हुनुपर्ने भन्ने स्पष्ट कानूनका रूपमा बीमक दर्ता तथा व्यवसाय सञ्चालनसम्बन्धी निर्देशिका २०७३ ले कम्तीमा ३० प्रतिशत सर्वसाधारणतर्फ हुनुपर्ने अनिवार्य व्यवस्था गरेको छ । २०५८ सालमा बीमा ऐन २०४९ लाई दोस्रो पटक संशोधन गरी जीवन र निर्जीवन बीमकको पूँजी क्रमशः ५० करोड र २५ करोड तोकेको थियो । अधिकांश बीमकले पूँजी पुर्‍याइसकेको भए पनि एभरेष्टले तोकिएको पूँजी पुर्याउन सकेको थिएन । तोकिएको पूँजी पुर्‍याउने भन्दै एकपटक १ः१.५ (१ बराबर १ दशमलव ५) अनुपातमा हकप्रद जारी गर्नेसम्बन्धी प्रस्ताव पारित गरे पनि त्यो प्रस्ताव कार्यान्वयन गरेन । अहिले पुनः जीवन र निर्जीवन बीमकको चुक्तापूँजी क्रमशः २ अर्ब र १ अर्ब पुर्‍याउन निर्देशन जारी भएको छ । कम्पनीले २०७४ असार २३ गते सम्पन्न गरेको १८औं, १९औं, २०औं, २१औं र २२औं साधारणसभामा १ः६ (१ बराबर ६) को अनुपातमा हकप्रद जारी गर्ने प्रस्ताव पारित गरेको थियो । तर, यो प्रस्ताव पनि कार्यान्वयनमा जान सकेन ।

बेथितिको शुरुआत
 
कम्पनीमा बेथितिको शुरुआत १७औं वार्षिक साधारणसभा सम्पन्न भएकै बेलादेखि भएको तथ्य देख्न सकिन्छ । यस साधारणसभामा पेश गरिएको वार्षिक प्रतिवेदनमा सर्वसाधारणतर्फ रहेको ४० प्रतिशत शेयर कहिले र कसरी ५७ दशमलव शून्य ७ प्रतिशत पुग्यो, बीमा समितिलाई नै थाहा छैन । त्यसपछि एकैपटक भएका पाँच ओटा साधारणसभाको वार्षिक प्रतिवेदनमा कम्पनीका सबै शेयर सर्वसाधारण सरह बनेको पनि समितिले पत्तो पाएन । नियमन गर्ने निकाय यति बेखबर बनेको त सायदै देखिएला । अर्को रमाइलो झन् अचम्म लाग्दो छ । कम्पनीको २२सौं साधारणसभा हुनुअघि नै जारी भएको निर्देशिका २०७३ साल चैत १७ गतेबाट लागू भएको थियो । कम्पनीले २०७४ साल असार १ गते साधारणसभा गर्ने निर्णय गरी सोही महीनाको २३ गते सभा आह्वान गरेको थियो । उक्त साधारणसभाको प्रस्तावमा माथि उल्लिखित ६ सय प्रतिशत हकप्रद जारी गर्नेसम्बन्धी प्रस्ताव पनि छ ।

बोर्ड पनि चुक्यो

बीमा समितिको यस्तो कार्यपछि धितोपत्र बोर्डले पनि अर्को त्यस्तै काम गरेको देख्न सकिन्छ । कम्पनीले माथि उल्लिखित निर्णयको जानकारी असार २ गते शुक्रवार स्टक एक्सचेञ्जलाई गराएको देखिन्छ । असार ४ गते आइतवार र ५ गते सोमवार निर्बाध रूपमा कारोबार भइरहेकोमा अचानक बोर्डले असार ५ गते ‘भित्री कारोबार’ भएको भन्दै एक्सचेञ्जलाई पत्राचार गरी कारोबार रोक्न निर्देशन दियो । बोर्डले त्यतिखेर साधारणसभा नै रोकेर स्पष्टीकरण माग्नुपर्नेमा त्यसो नगर्दा अहिले लगानीकर्ता प्रत्यक्ष रूपमा मारमा परेर हित संरक्षण होइन, विनाश भएको छ । कम्पनीको २२औं सभाबाट पारित भएबमोजिम हकप्रदका लागि बोर्डमा आवेदन गरेपछि बोर्डले कम्पनीसँग स्पष्टीकरण मागेको थियो ।

२३औं साधारणसभा

२०७५ वैशाख १० गते आह्वान गरिएको २३औं सभाको विशेष प्रस्तावमा ‘बीमा समितिको निर्देशन बमोजिम कम्पनीको शेयर संरचनामा न्यूनतम ५१ प्रतिशत संस्थापक शेयरधनी कायम गर्न चुक्ता पूँजी (१० प्रतिशत बोनसपछि) मा यस कम्पनीका सर्वसाधारण शेयरधनीलाई १ः१.०५ (एक बराबर १ दशमलव शून्य ५) संस्थापक शेयर कायम हुने गरी हकप्रद शेयर जारी गर्ने र तत्पश्चात् कायम हुने सम्पूर्ण शेयरधनी (संस्थापक र सर्वसाधारण) लाई १ः३ (एक बराबर तीन) हकप्रद शेयर जारी गर्ने’ प्रस्ताव रहेको थियो । सोही प्रस्ताव अनुरूप अहिले बोर्डमा यस सम्बन्धी प्रस्ताव दर्ता भई स्वीकृतिको पर्खाइमा रहेको छ ।

जबर्जस्ती संस्थापक
 
स्टक एक्सचेञ्जमा सूचीकरण भएको सर्वसाधारण शेयर सहज तरीकाले खरिद-विक्री गर्न सकिने वित्तीय औजार हो । संस्थापक शेयर त्यस्तो होइन, अहिले साधारण शेयर किनेका शेयरधनीलाई कम्पनीले जबरजस्ती संस्थापक बनाउन लागेको छ । साधारण शेयर धारण गरेका शेयरधनीले ‘…कान्छो बाबुको अनुहार’ झैं संस्थापक (संस्थापक हुने योग्यता नपुगेमा हुने क्षतिको हिसाब गरी साध्य छैन) शेयर धारण गर्नुपर्ने भएको छ । बैङ्क र बीमाको संस्थापक शेयर धारण गर्नेसम्बन्धी नेपाल कानूनले केही शर्त बन्देज तोकेको छ । निर्देशिकाको दफा १३(ग) सँग सम्बन्धित अनुसूची–४ मा संस्थापकका केही अयोग्यता (क) २१ वर्ष उमेर पूरा नभएको, (ख) ऋण तिर्न नसकी साहूको दामासाहीमा परेको,( ग) बैङ्क वा वित्तीय संस्थासँगको कुनै कारोबारमा कालोसूचीमा परी सो सूचीबाट फुकुवा भएको मितिले कम्तीमा ३ वर्ष पूरा नभएको, (घ) प्रचलित कानून बमोजिम कर तिर्नुपर्ने दायित्व भई त्यस्तो कर चुक्ता नगरेको, (ङ) बैङ्किङ कसूर, ठगी, जालसाजी, किर्ते, सम्पत्ति शुद्धीकरण, भ्रष्टाचार, मानव बेचबिखन, अपहरण वा शरीर बन्धक वा नैतिक पतन देखिने अन्य कसूरमा अदालतबाट सजाय भुक्तान गरेको ५ वर्ष पूरा नभएको व्यक्ति संस्थापक शेयरधनी हुन सक्दैनन् । यसबाहेक संस्थापक शेयरधनी हुन (१) कालोसूचीमा नपरेको कर्जा सूचना केन्द्रबाट प्रमाणित कागजात, (२) आय स्रोत स्पष्ट पार्ने कागजात र (३) कर चुक्ता भएको प्रमाणपत्र पेश गर्नुपर्ने हुन्छ । त्यस्तै, अनुसूची-२ अनुसारको संस्थापकहरूको व्यक्तिगत विवरण पेश गर्नुपर्ने हुन्छ । उक्त व्यक्तिगत विवरणमा भएका विवरण भर्दा त्यसलाई पुष्टि गर्ने सबै कागजात समेत समावेश गर्नुपर्छ ।

साधारण शेयरधनीलाई जबर्जस्ती संस्थापक बनाउन अनेकौं कानूनी जटिलता रहेको हुँदा मध्यमार्गी बाटो अपनाउन कम्पनी, बोर्ड र समिति लाग्नु आवश्यक देखिन्छ । जबर्जस्ती संस्थापक बनाउन खोज्दा कानूनतः स्वतः अयोग्य हुनेछन् । हकप्रद (संस्थापक भनिए पनि) भएकाले यसको मूल्य समायोजन हुन्छ कि हुन्न त्यसबारे पनि पहिले नै लगानीकर्तालाई सूचित गर्नुपर्ने हुन्छ । हकप्रद र बोनस शेयरबाट परिचालन भएको बजार भएकाले ६ सय प्रतिशत हकप्रदको लोभ र मोहमा परेका लगानीकर्ताले ३ हजार भन्दा माथिको मूल्यमा किनबेच गरेका छन् । संस्थापक हुन शर्त नपुगेमा लगानीकर्ताको हुने क्षतितर्फ उचित ध्यान दिएर बोर्डले कदम चाल्नु आवश्यक छ ।

समाधानका लागि सुझाव
 
साधारण शेयर किनेका लगानीकर्तालाई जबर्जस्ती संस्थापक बन भन्नुभन्दा १७औं वार्षिक साधारणसभासम्म कायम रहेका ४२ दशमलव ९३ प्रतिशत संस्थापक शेयर धारण गरेका संस्थापकलाई अहिले कायम पूँजीको ४२ दशमलव ९३ प्रतिशत राख्न लगाई र बाँकी नपुग ८ दशमलव ०७ प्रतिशत बैङ्क अफ काठमाडौंले अपनाएको फर्दर पब्लिक अफरिङ विधिमार्फत व्यवस्था मिलाउनेतर्फ बीमा समिति र धितोपत्र बोर्डले कम्पनीलाई निर्देशन दिनु जरुरी छ ।

अभियान दैनिकमा २०७५ श्रावण ७ गते प्रकाशित 
http://www.abhiyan.com.np/?p=262160

Friday, July 20, 2018

मौद्रिक नीति र सेबोन नीतिमा शेयरबजार


नेपाल राष्ट्र बैङ्कले आर्थिक वर्ष (आव) २०७५/७६ को मौद्रिक नीति सार्वजनिक गरेको छ । यसै साता पूँजीबजारको नियामक नेपाल धितोपत्र बोर्डले पनि वार्षिक नीति तथा कार्यक्रम सार्वजनिक गरेको छ । शेयरबजारका लागि तालुकी निकायको नीतिभन्दा मौद्रिक नीति बढी चासो र चर्चाको विषय बनेको देखियो । यी दुई नीतिको सङ्क्षिप्त चर्चा र समीक्षा यस आलेखमा गर्ने प्रयास गरिएको छ ।

मौद्रिक नीतिमा शेयरबजार

मौद्रिक नीतिले वित्तीय स्थिरता एवम् भुक्तानी प्रणाली लगायतलाई सम्बोधन गरेर देशीय अर्थतन्त्रका लागि मुद्राको स्रोत व्यवस्थापन गर्ने गर्छ । शेयर (प्राथमिक) बजार पनि मुद्रा प्राप्तिको स्रोत भएकाले सरकारले प्राथमिक बजार सम्बन्धी नीतिगत व्यवस्था गरेको हुन्छ । तर, दोस्रो बजारमा हुनसक्ने अधिक सट्टेबाजीलाई रोक लगाउन नीतिगत शर्त बन्देज गर्न सक्छ । यस पटकको मौद्रिक नीतिले ऋण पूँजीभन्दा स्वपूँजी मार्फत शेयरबजारमा लगानी गर्न प्रोत्साहन गराउन खोजेको देखिन्छ । मौद्रिक नीतिमा (क) वाणिज्य बैङ्कबाट अनुरोध भई आएमा सहायक कम्पनी स्थापना गरी धितोपत्र दलाल सेवा दिनसक्ने व्यवस्था मिलाइने, (ख) मार्जिन प्रकृतिको कर्जामा शेयरको मूल्य २० प्रतिशतसम्म घटेको अवस्थामा मार्जिन कल गर्न बाध्य नहुने र (ग) शेयर धितो लिएर प्राथमिक पूँजीको २५ प्रतिशतसम्म कर्जा प्रवाह गर्न पाउने व्यवस्था रहेका छन् |

बोर्डको नीति र कार्यक्रम

पूँजीबजारको तालुकी निकाय धितोपत्र बोर्डले नीति र कार्यक्रमको दोस्रो संस्करण सार्वजनिक गरेको छ । अन्य निकायको नीतिभन्दा तालुकी अड्डाले लिने नीतिले शेयरबजार निर्देशित हुन्छ । अन्य पक्ष भनेका सहायक उत्प्रेरक मात्र हुन् । बोर्डको अघिल्लो वर्ष स्वीकृत नीति र कार्यक्रम अनुसार (क) शेयरधनीसँग रहेको अभौतिक हुन बाँकी निश्चित सङ्ख्यासम्मको धितोपत्रलाई विक्रीको अवसर दिन छुट्टै प्लेटफर्मको विकास गर्ने सम्बन्धमा अध्ययन भइरहेको, (ख) सूचीकरण भएका तर, सञ्चालनको अवस्था अज्ञात रहेका र सूचीकरण खारेज भएका कम्पनीको स्थितिको अध्ययन अगाडि बढाउन बाँकी रहेको र (ग) म्युनिसिपल बोण्ड, ऋणपत्र र अग्राधिकार शेयर निष्कासनका लागि अवलम्बन गरिनुपर्ने प्रोत्साहनमूलक नीतिका सम्बन्धमा अध्ययन भइरहेको रहेका छन् ।

विकासात्मक र नियमित नीति

बोर्डले आगामी वर्ष (क) धितोपत्र बजारको प्रभावकारी नियमन, सुपरिवेक्षण तथा व्यवस्थापनका लागि आवश्यक कानूनी संरचनाको विकास तथा सुदृढीकरण गर्ने, (ख) संस्थागत तथा नियमन क्षमता अभिवृद्धि गर्ने, (ग) बजार पूर्वाधार, लगानी उपकरण आदिमा सुधार तथा विकास गर्ने, ‘एक नेपाली एक डिम्याट खातालाई अभियानका रूपमा सञ्चालन गर्ने र (घ) बजार सुपरिवेक्षण व्यवस्थामा सुधार गर्नेलगायत उल्लेख छ ।

नीति र कार्यक्रमलाई विकासात्मक र नियमित गरी दुई भागमा वर्गीकरण गरेको छ । विकासात्मक कार्यहरूमा (क) धितोपत्रसम्बन्धी नयाँ ऐन, ट्रष्ट (ट्रष्टी) ऐन, भित्री कारोबार बन्देज नियमावली तथा धितोपत्र व्यवसायी तथा सूचीकृत कम्पनी गाभ्ने तथा गाभिनेसम्बन्धी नियमावली र विभिन्न निर्देशिका तर्जुमा गर्ने कार्यक्रम रहेका छन् । आव २०७५/७६ लाई वास्तविक क्षेत्रका कम्पनीलाई धितोपत्र बजारमा प्रवेश गराउन विशेष वर्ष बनाउने, खुलामुखी सामूहिक लगानी योजनालाई प्रवेश गराउने, मूल्य संवेदनशील सूचना प्रवाहलाई प्रभावकारी बनाउने, भुक्तानी सुनिश्चित कोष स्थापना तथा सञ्चालन गराउने, इक्विटी डेरिभेटिभ्स मार्केट, लीलामी बजार (अक्शन मार्केट) को शुरुवात गर्ने कार्यक्रम रहेका छन् । विवाद समाधान गर्न धितोपत्र न्यायाधिकरण स्थापनाका लागि आवश्यक व्यवस्था आदिमा अध्ययन गर्ने कार्यक्रम रहेका छन् ।

नियमित कार्यक्रम अन्तर्गत धितोपत्र दर्ता तथा निष्काशन स्वीकृति, बजार अनुगमन, सुपरिवेक्षण तथा कारबाही, नीति तथा कार्यक्रम तयारी तथा प्रगति पुनरवलोकन, सरकारलाई पूँजीबजार सुधार तथा विकासका लागि राय-सुझाव, गुनासा समाधान, लगानीकर्ता प्रशिक्षण तथा जनचेतना अभिवृद्धिजस्ता कार्यक्रम रहेका छन् । प्राइभेट इक्यूटी, भेञ्चर क्यापिटल र हेज फण्डलगायत नयाँ संस्थालाई पूँजीबजारमा प्रवेश गराउन वैकल्पिक लगानी कोष नियमावली बनाई लागू गर्ने, नयाँ स्टक एक्सचेञ्जलाई अनुमति दिन प्रक्रिया अगाडि बढाउने कार्यलाई पनि नियमित कार्य अन्तर्गत राखेको छ ।

कार्य विशिष्टीकरण विपरीत

बैङ्कलाई धितोपत्र दलाल सेवा दिनसक्ने व्यवस्था मिलाउने भन्ने मौद्रिक नीतिको कथन कार्य विशिष्टीकरण विपरीत रहेको छ । कार्य विशिष्टीकरणले कार्यमा एकरूपता र सहजता ल्याएर न्यायिक समाज निर्माण गर्छ । ग्रीक दार्शनिक प्लेटो र अरस्तुले न्यायको परिभाषा गर्दै श्रम विभाजनउपयोगवादभनेका छन् । वित्तीय मध्यस्तताको कार्य गर्ने र भुक्तानी प्रणालीको विकास गर्ने मुख्य जिम्मा पाएका बैङ्किङ संस्थालाई धितोपत्र दलाली गर्न दिनुलाई न्यायसङ्गत भन्न सकिन्न । नेपालको शेयरबजारमा झण्डै ८० प्रतिशत बैङ्किङ संस्था सूचीकृत रहेको र कारोबारमा पनि यिनकै बाहुल्य रहेको जानकार हुँदाहुँदै माग भइ आएमा भनेर घुमाउरो पाराले आऊ, लैजाऊ र शेयरबजार मनपरी चलाऊभन्ने अभिष्टता केन्द्रीय बैङ्कको नेतृत्वकर्तामा देखिन्छ । भन्नलाई सहायक कम्पनी मार्फत भनेर ओठे जवाफ फर्काए पनि सहायक कम्पनी माउ कम्पनीकै अधीनमा चल्ने कम्पनी हुन् । दलाल सहायक कम्पनीमा बैङ्कका उच्च व्यवस्थापन तहमा रहेका व्यक्ति सञ्चालक हुने हुँदा सूचीकृत माउ कम्पनी (बैङ्क) को सूचना यिनकै मुठीमा हुन्छ र यिनको इशारा र निर्देशनमा किनबेच हुन्छ । यति सामान्य कुरालाई पनि केन्द्रीय बैङ्क र धितोपत्र बोर्डले बेवास्ता गरेका हुन् कि जानाजान बुझ पचाएका हुन् वा कसैको व्यक्तिगत स्वार्थपूर्ति गरिदिएको हो ?

फेरि दोहोरो नियन्त्रण

बैङ्कले बैङ्कको शेयर लिन नपाउने गरी केन्द्रीय बैङ्कले दोहोरो नियन्त्रण समाप्त पारेपछि अहिले बैङ्कको अधीनमा रहेका मर्चेण्ट बैङ्कर मार्फत अप्रत्यक्ष रूपमा फेरि दोहोरो नियन्त्रण लिइरहेको बेला छ । अतः मर्चेण्ट बैङ्करलाई बैङ्कको सहायक कम्पनीबाट अलग पार्नुपर्ने यो बेला हो । यस्तोमा धितोपत्र दलाली पनि गर्न बैङ्कलाई दिने कार्य आगोमा घिउथप्नु सरह हो । आफ्नो शेयर आफैले किनबेच गराउने कुरा कति सान्दर्भिक हुन्छ होला ? केन्द्रीय बैङ्कले अलिकति सोच्न नसक्नु अत्यन्त लाजमर्दो विषय हो । बाह्य अभ्यास हेर्ने हो भने पनि बैङ्कलाई दलाल अनुमति पाउनसक्ने स्थिति हुन स्टक एक्सचेञ्जमा सूचीकरण भएको बैङ्किङको शेयर अंश २० प्रतिशतभन्दा कम हुनुपर्ने भन्ने छ । तर, नेपालमा भने २० प्रतिशतको हाराहारीमा अन्य कम्पनी सूचीकृत रहेको र तिनको कारोबार अंश अत्यन्त न्यून रहेको छ । यसले वित्तीय स्वार्थ बाझिन्न भन्ने सुनिश्चितता कसले कसरी लिनसक्छ ?

दुई जना व्यक्ति शेयरधनी रहेको दलाल कम्पनी तह लगाउन नसक्ने बोर्डले विशाल कर्पोरेट हाउस नै शेयरधनी रहेको दलाल कम्पनीलाई ठाडो आँखा लगाएर पनि हेर्न सक्दैन । बैङ्क प्रवर्द्धक रहेको र उसकै सहायक कम्पनी (मर्चेण्ट बैङ्कर) योजना व्यवस्थापक रहेको सामूहिक कोषका गतिविधिलाई बोर्डले नियन्त्रण गर्न नसकेर लगाम छोडेको दृश्य कसले देखेको छैन ? सामूहिक कोषको योजना व्यवस्थापक समेत अन्य स्वतन्त्र कम्पनीलाई दिनुपर्ने टड्कारो आवश्यकता देखिएको अवस्थामा दलाल अनुमति दिनुको औचित्य खोज्नुपर्ने होइन ?

अन्त्यमा, धितोपत्र दर्ता गरेर कसको कति अंश स्टक एक्सचेञ्जमा छ भनेर अभिलेख राख्ने धितोपत्र बोर्ड र २५ करोड भन्दा माथिको कर्जामा तेस्रो पक्षको ड्यु डिलिजेन्स रिपोर्ट (डीडीए) खोज्ने केन्द्रीय बैङ्कले किन यति सजिलै दलाल अनुमति दिन सिफारिश गरे र दिए ? ‘दालमें कुछ कालादेख्नुपर्ने भएको छ । यो विषयलाई अर्थमन्त्री आफैले सोधखोज गरी यसको उचित जवाफ दिनुपर्ने भएको छ । त्यस्तै अर्को स्टकको बेमौसमी बाजा बजाउने बोर्डको नियतमा पनि खोट देखिएकाले धितोपत्र बजारको विषयमा राम्रो दखल भएका अर्थमन्त्रीले पक्कै पनि यसको मर्म बुझ्नेछन् ।

अभियान दैनिकमा श्रावण १ गते प्रकाशित 
http://www.abhiyan.com.np/?p=260328


Thursday, July 19, 2018

३५ लाखमा बनेको पूल


नरेन्द्र मोदी र बुद्ध

नरेन्द्र मोदी र बुद्ध !!
अर्कै वालमा दिएको कमेन्ट हो यो,अलि बिस्तृत रूपमा,,,,। होइन कुरा बुझेर पढेर प्रतिक्रिया दिने गर्छ कि हावा तालमा लेख्छ ? नरेन्द्र मोदीले भारतमा बुद्ध जन्मेको देश हो भनेर दावा गरेको छ र ? हाम्रो बुद्धको देश भनिरहेको छ होइन र ? भारतले हाम्रो बुद्धको देश भनेर भन्दा हामीलाई आपत्ति किन होला ? जहाँ जुन भुमिमा ज्ञान् प्राप्त गरे,जहाँ ध्यान गरे,जहाँ पुरै जिबन धर्म देशना गरे,जहाँ महापरिनिर्वाण प्राप्त गरे,अनि किन भारतले बुद्धको देश नभन्ने ? बौद्ध धर्मको प्रमुख चार तिर्थस्थल हरु मध्य तीन वटा भारतमा नै पर्छ,जुन देशले आफ्नो देशको राष्ट्रिय झण्डामा बौद्ध धर्मसंग सम्बन्धीत धम्म चक्र राखेको छ,आफ्नो भारतीय मुद्रामा धम्म चक्र राखेको छ,जुन देशको राष्ट्रिय चिन्ह लोगो छापमा नै महान बौद्ध सम्राट अशोकको तीन मुखे सिंहको लोगो भारत सरकारले राखेको छ,जुन देश बाट आज बिश्वमा बौद्धधर्म फैलाउन सर्व प्रथम प्राचीन नालन्दा बिश्व बिद्यालय स्थापना भयो।जुन देशले बुद्ध धर्मवलम्वी हरुको प्रसिद्ध प्राचीन विहार (गुम्बा)को नाउँमा राज्यको नाम विहार भनेर राखेको छ,उनले मेरो बुद्धको देश भन्न किन नपाउने ? बरु नेपालमा जस्तो भएको भए,विहारी हरुले हाम्रो मिथिला भोजपुरी हरुको पहिचान हरायो !! धर्म निरपेक्ष भएको देशमा किन बुद्धको विहार(मन्दिर) को नाउँमा राज्यको नाम राखेको भनेर उफ्रने थियो होला !!? किन एउटा धार्मिक सम्प्रदायको मात्रै झण्डामा राष्ट्रिय चिन्ह भनेर चिच्याउथियो होला !!!! थाइल्यान्ड बाट आज मात्रै राहुल गान्धी दुई महिना सम्म बौद्ध धर्म गुरु संग बुद्ध धर्मको ध्यान बिपस्यना (गुफा) बसेर भारत आएको छ,पहिला पनि बर्मामा गएर साधना गरेको थियो।नरेन्द्र मोदीले संयुक्त राष्ट्रसंघमा बिश्व योग दिबसको प्रस्ताव राखियो जुन प्रस्ताव सर्वसम्मत पारित भैसकेको छ,जुन बौद्ध धर्म संग सम्बन्धित छ, हाम्रो त यहाँ क्रान्तिकारी हरुको देश भै हाल्यो !! बुद्धको नाम लिनु,बुद्ध जयन्तीमा गुम्बामा विहारमा जानू भनेको क्रान्तिकारीमा दाग लाग्नु हुन्छ।एउटा हिन्दु भएर पशुपतिनाथ जानू भनेको लाज लाग्ने जस्तो हुन थालेको छ,पश्चिमी आका हरुले डलर नदेला भन्ने डर जो छ !! भारत जहाँको प्रधानमन्त्री निर्वाचित हुने साथ औपचारिक रूपमा सगर्व बिधिबत पुजा गर्न पशुपतिनाथ आउँछ भने हामीहरु चाहिँ पबित्र शान्ति भूमि लुम्बिनीको बौद्ध बिश्व बिध्यालयको भवनमा सशस्त्र लडाकु YCL को क्याम्प राखछौं,न हामी बिरोध गर्छौं।अन्तमा मित्रहरू ! तिब्बती बुद्ध,बर्मिज बुद्ध,ताइवान बुद्ध भनेर हामीले नेटमा थुप्रै पाउछौँ। सबै देशहरूले आ आफ्नै देशको माटो सुहाउँदो बुद्धको नाम लिएको छ बनाएको छ, यसमा हामीले गर्व गर्ने हो।साक्यमुनी बुद्ध कहाँ जन्मेको हो,कुन देशमा हो भनेर आजको बिश्व त्यति सारो लाटो छैन !! जुन हामीले सोंच्छौँ !!

मोहन लामा रुम्बा

Saturday, July 14, 2018

अर्थमन्त्री खतिवडाको शेयर लाइन

अधिकांश समय कर्मचारी भएर बिताएका डा. युवराज खतिवडा केन्द्रीय बैङ्कको कार्यकारी निर्देशकबाट अवकाश पाएपछि गभर्नरसमेत बने । उनले सम्हालेको राष्ट्रिय योजना आयोगको उपाध्यक्ष मात्र राजनीतिक पद थियो । अहिले प्रत्याशित र अप्रत्याशित वा अपेक्षित र अनपेक्षित रूपमा अर्थमन्त्रीको कार्यभार सम्हालेपछि केन्द्रीय बैङ्कको गभर्नर हुँदा शुरूमा जुन आलोचना खेपेका थिए, अहिले पनि त्यस्तै प्रकारको आलोचना खेपिरहेका छन् ।

अनुत्पादकको अभिव्यक्ति

निरन्तर घटिरहेको शेयरबजार अझ घट्नुमा घरजग्गा, शेयर, अटोमोबाइल र उपभोगमा लगानी हुँदाभनिदिएको अभिव्यक्तिमा शेयर पनि परेकाले यसलाई अनुत्पादक भनिएको भनेर आलोचना भयो । अभिव्यक्तिमा परेको वाक्य वा वाक्यांशले समग्रताको प्रतिनिधित्व गर्दैन, त्यसका लागि सिङ्गो वाक्य वा परिच्छेदको व्याख्या र विश्लेषण गर्नुपर्छ । वाक्यांशमा आएको शेयर प्रासङ्गिक कथन मात्र हो । समग्रतामा राखेर हेर्दा भने यसको अन्तर्य पूँजी वृद्धि, कर्जा प्रवाह, निक्षेप सङ्कलन, विप्रेषण र लगानीसम्म गएर टुङ्गिन्छ । उपलब्ध आन्तरिक स्रोत परिचालन गर्दा लक्ष्य पूरा हुन नसकेमा अन्तरराष्ट्रिय बजारबाट पनि पूँजी प्रवेश गराएर यस्तो समस्या समाधान गर्न सकिने तर, यसरी आएको स्रोत (पूँजी) माथि उल्लिखित क्षेत्रमा बढी लगानी भएमा त्यसको कुनै अर्थ नहुने तर्फ गरेको खबरदारीलाई शेयर र शेयरबजारप्रति नकारात्मक टिप्पणी गरेको भन्दै अरण्यरोदन गरेको देखिन्छ । उनले प्राथमिकतामा राखिएको उत्पादनमूलक क्षेत्रमा लगानी गर्न कर्जाको आकार बढाउने र त्यसको गुणात्मक पक्षलाई ध्यान दिएर समाधान गर्न सकिनेउपाय पनि सुझाएका छन् । अर्थ मन्त्रालयले समग्र अर्थतन्त्रको कुरालाई हेरेर उपलब्ध सीमित साधन आय र रोजगारी दिने सबैभन्दा उत्पादक क्षेत्रमा लगाउनुपर्छभनेका छन् ।

शेयरबजार र पूँजीबजार

शेयरबजारप्रतिको धारणा सम्बन्धमा थप स्पष्ट पार्दै शेयरबजारलाई पूँजीबजारका रूपमा हेरेको र पूँजीबजारबाट ऋणपत्र (डिबेञ्चर) र शेयर (इक्विटी) मार्फत पूँजी परिचालन हुने भएकाले पूँजीबजार (इक्विटी मार्केट) लाई अनुत्पादक भनिएको भनी गरिएको प्रचार बजारलाई प्रभावित पार्ने प्रयास मात्र हुन्भनेका छन् । उनले लामो समय वित्तीय प्रणालीमा काम गरेकाले विषय संवेदशील भएकोसमेत बताएका छन् । शेयरबजार राष्ट्रिय पूँजी निर्माणको प्रक्रिया भएकाले यसमा आमनागरिक सहभागी भएर शेयर स्वामित्व लिँदै पूँजीको फैलावट केही व्यक्ति, क्षेत्र, संस्थाहरूबाट विस्तारित होस् भन्ने चाहेकोबताएका छन् । यसो हुनुलाई पूँजीबजारलाई अझ सघन, व्यवस्थित, सुदृढ र पारदर्शी बनाउने काम सरकारको भएकाले केही विषय बजेटमा समेत उल्लेख गरेका’  छन् । यसको शुरुआतका रूपमा दलाल कमिशन (कारोबार) मा मूल्य अभिवृद्धि कर (मुअक) को समस्या समाधान गरेको र दलाललाई सामान्य करको दायरा (ल्याउनुपर्ने वित्तीय दायरा) मा ल्याएर पूँजीबजारमा सधैं बल्झिरहने विषय सदाका लागि समाप्त पारिदिएका छन् । शेयर कारोबारमा लाग्ने पूँजीगत लाभकर गणना विधिमा कर प्रशासनले गरेको पत्राचारको सन्दर्भमा अन्योल उत्पन्न भएकाले छिटै टुङ्गो लगाउने बताएका छन् ।

एक प्रसङ्गमा पूँजीबजारकै विभिन्न पाटोका रूपमा रहेका भेञ्चर क्यापिटल, म्युचुअल फण्ड र हेज फण्ड मार्फत पूँजी परिचालन गरेर स्व-लगानी बढाउन खोजेको तथा शेयरबजारका सम्पूर्ण द्विविधा (करसमेत) लाई हटाएर सुदृढ गर्न चाहेको बेला बजारलाई प्रभावित पारेर एक/दुई व्यक्तिले 'हिट एण्ड रन' को शैलीमा लाभ लिन नसक्नेबताएका छन् । लगानीकर्तालाई सुसूचित नभई र कम्पनीबारे जानकारी नलिई शेयर कारोबार नगर्नर अर्थमन्त्रीले शेयरको मूल्य बढ्छ नभन्ने, शेयर सूचक घट्नु र बढ्नुलाई सफलतासँग नजोड्नेबताएका छन् । शेयर किनबेच गर्दा कम्पनीको प्रोफाइल, नाफा, व्यवसाय विस्तार कस्तो छ भन्ने नबुझीकन लगानी गर्ने लगानीकर्ताले नाफा होउन्जेल आफूले लिने अनि घाटा भएपछि अर्थमन्त्री र नियमकलाई गाली गर्ने प्रवृत्तिप्रति आपत्ति प्रकट गरेका छन् । शेयरमा गरिने लगानी जोखीममा खेल्ने हो र सधैं मूल्य बढिरहन्छ भनेर गरिने परिकल्पना गलत हो । शेयरमा लगानी गरेको रकम अनुत्पादक हो । यो काम लाग्दैन । यसले मुलुकको समृद्धि गर्दैन भनेर पूँजी परिचानमार्फत राष्ट्रिय पूँजी निर्माण गर्न चाहने अर्थमन्त्रीले यसो भन्ने कुरै हुन्नउनले भनेका छन् ।

श्वेतपत्रमा पूँजीबजार

नेपालको पूँजीबजार सतही रहनुका साथै दायरा सङ्कुचित छ । अर्थतन्त्रमा साधन परिचालन गर्न पूँजीबजार सशक्त माध्यम भए पनि यस्तो बजार हाल धितोपत्रमा मात्र सीमित छ । पूँजीबजारको महत्वपूर्ण अङ्ग ऋण बजारको भने विकास गर्न सकिएको छैन । समग्र पूँजीबजार मार्फत ठूलो परिमाणको स्वलगानी परिचालन गर्न संस्थागत र नीतिगत सुधारको आवश्यकता देखिएको छ । (श्वेतपत्र ३२) पूँजीबजारको कारोबारको मूल्य दर्शाउने नेप्से सूचक अस्थिर छ । संस्थागत लगानीकर्ताको न्यूनता र वित्त बजारमा तरलताको अभावसँगै बढ्दो ब्याजदर र शेयर निष्कासन र आपूर्तिमा भएको वृद्धिले शेयर मूल्य प्रभावित बहेको छ । पूँजीबजारमा यथार्थ सूचना सम्प्रेषणको अभाव, पारदर्शिताको कमी तथा लगानीकर्ताहरू र खासगरी साना लगानीकर्तामा शेयर लगानी सम्बन्धी ज्ञानको कमीले शेयर मूल्य मापन गर्ने नेप्से सूचकमा उच्चदरले उतारचढाव आउने गरेको छ । (ऐऐ ३३) वित्तीय क्षेत्रमा सुशासन र स्थायित्व कायम गर्दै वित्तीय साधनलाई उत्पादनमुखी बनाउने र सेवाको गुणस्तर अभिवृद्धि गर्नेतर्फ जोड दिइनेछ । समग्र वित्तीय नीति मार्फत मुद्रा तथा पूँजीबजारको स्थायित्व र समावेशी विकासमा जोड दिइनेछ । (ऐऐ ८८)

नीति र कार्यक्रममा पूँजीबजार

आन्तरिक स्रोत परिचालनमा वृद्धि गर्ने (नीति र कार्यक्रम २८) उल्लेख गरेर पूँजीबजारको प्राथमिक पक्षलाई सम्बोधन गर्न खोजिएको छ । वित्तीय क्षेत्रको लगानीका प्रमुख अंश पूँजी निर्माण र उत्पादन वृद्धिमा प्रवाहित गरिने, पूँजीबजारको विस्तार गरी आन्तरिक लगानी परिचालनलाई गतिशील बनाइने, विभिन्न सङ्घसंस्था र कोषहरूमा निष्क्रिय रहेको रकमलाई उत्पादनमूलक क्षेत्रमा परिचालन (उही २८) गरिनेछ । वित्तीय क्षेत्रका नियमकहरूको क्षमता अभिववृद्धि गरी नियमन र सुपरिवेक्षण प्रभावकारी बनाइने र वित्तीय पहुँच सुनिश्चित गरिने उल्लेख छ । (ऐऐ २९)

बजेट र आर्थिक विधेयकमा पूँजीबजार

वित्तीय सेवामा सबैको सहज पहुँच वृद्धि गरिने र वित्तीय क्षेत्रमा नियमनकारी निकायको क्षमता अभिवृद्धि गर्न नेपाल राष्ट्र बैङ्क, बीमा र धितोपत्र ऐनमा समयानुकूल संशोधन गरिनेछ (बजेट वक्तव्य १९५) । १ अर्ब वा सोभन्दा बढी पूँजीमा स्थापित सबै उत्पादनमूलक कम्पनीलाई पूँजीबजारमा सूचीकृत हुनुपर्ने व्यवस्था गरिनेछ । प्राइभेट इक्विटी, भेञ्चर र हेज फण्ड लगायत नयाँ संस्थालाई पूँजीबजारमा प्रवेश गराइनेछ । (ऐऐ १९९) । धितोपत्र दलाल सेवामा मूअक नलाग्ने स्पष्ट पारिएको छ । (आर्थिक विधेयक २०७५ दफा २२)

अन्त्यमा, माथिका विभिन्न अनुच्छेदमा गरिएको वर्णनलाई आधार मान्ने हो भने शेयर बजार घट्नुमा अर्थमन्त्री होइन, लगानीकर्ताको मनोविज्ञान दोषी छ । शेयरबजारमा अहिले देखिएको परिस्थितिलाई हाइपोकोण्ड्रियाभन्न मिल्छ । शरीरको कुनै अङ्गमा रोगको कल्पना, आफ्नो स्वास्थ्यको सम्बन्धमा निरन्तर दुश्चिन्ता, अटुट व्यग्रता र अतिचिन्ताको स्थितिलाई हाइपोकोण्ड्रिया भनिन्छ । सूचीकृत कम्पनीको स्थिति, व्यावसायिक अवसर, नाफामा वृद्धि, व्यवसायिक विस्तार सरल रेखीय ढङ्गमा अगाडि बढिरहेको छ भने शेयर कारोबारमा नवीनतम प्रविधिको अवलम्बन पनि दिनहुँ बढिरहेको छ । निकट भविष्यमै स्वचालित विद्युतीय कारोबार प्रणालीको शुरुआत, रियल टाइम सेटलमेण्ट, दलालमार्फत मार्जिन कारोबार सेवा शुरू हुन लागेको बेला नियामक र तालुकदार मन्त्रालयप्रति बेमौसमी राग अलाप्नुको कुनै अर्थ छैन । बजेटमा धितोपत्र कानून संशोधन र नियमक निकायको क्षमता अभिवृद्धिको प्रसङ्ग आएको हुँदा अविलम्ब यो कार्य शुरू हुनु जरुरी छ । तत्काल भने बाँडफाँट निर्देशिका  संशोधन गरेर समानुपातिक बाँडफाँट प्रणाली अवलम्बन गर्न अत्यन्त जरुरी छ ।

अभियान दैनिकमा २५ आषाढ २०७५ 
http://www.abhiyan.com.np/?p=258146


प्रबन्ध सञ्चालकको अवधारणा

कस्ता व्यक्ति प्रबन्ध सञ्चालक बन्न सक्छन् ? कुनै पनि निकायमा एकजना प्रशासकीय प्रमुख हुन्छन् l यस्तो पदलाई कार्यकारी अध्यक्ष, प्रबन्ध सञ्च...